Saturday, March 24, 2018

दोस्ती (friendship)

कुछ दोस्ती, अचानक शोर की तरह आती है,
जल्दी ही गुज़र जाने के लिए.
बहुत कम दोस्ती सारी उम्र,
साथ साथ चलती चली जाती है,
बिना मक्सद के हर हाल में साथ निभाती.
शबनम गिल

Thursday, March 15, 2018

इंतज़ार, एक सच

इंतज़ार........
एक सच


जब उम्र बढ़ते बढ़ते एक एैसी जगह आकर ठहर जाती है, जहाँ दिखना-सुनना, चलना-फिरना सब घटता चला जाता। अच्छा बढ़िया चटपटा खाने की इच्छाये बढ़ती चली जाती है अौर पेट-हाज्मा सब नाराज़ हो बैठते है। तब वो बच्चे की तरह गुस्सा करती। फिर डांट सुनती। ऊपर से, जब कोई बात सुन नही पाती अौर बच्चा कहे, सारा मुहल्ला सुन लेता, बस तुम ही नही सुन पाती ... तब?
वो बस खामोशी ओढ़ पड़ी रहती। जब अपने ही बेटे-बेटियां पास ना बैठ, दूर-दूर रहते। जिनके लिए सारी उम्र कमाती रही... पेनशन के रुप में अब भी कमाती है, बिस्तर पे पड़े पड़े।
अकेलापन... इंतज़ार एक टुकड़ा खुशी का...  जो चाहे, फेंक कर ही दे दिया जाय... या इंतज़ार, आखरी सांस का...

                                                            Shubnum gill

Monday, March 5, 2018

WorldWildlifeDay

3 March WorldWildlifeDay 
Ranthambore tiger
Oil on canvas
Based on Aditya sing's photograph
Painting shubnum gill 

Friday, March 2, 2018

Colours in me

Colours  in me
self portrait
Friends Fight for you,
Respects you,
 Encourage you,
 Need you,
 love you, Include you,
allways Stand by you.
painting shubnum gill