Sunday, July 9, 2017

कमरा, खिड़की, दरवाजा और जिंदगी

एक कमरा था ,
चार दीवारों से घिरा,
खिड़की थी ,
घने जाली से ढकी ,
हवा छन छन कर आती रही ,
जिंदगी के लिए ,
दरवाजा था
अन्दर लाने के लिये ,
या कभी भी बाहर
 धकेल दिए जाने के लिए ?
                     शबनम गिल 

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