दाय़रा
डायरी के कुछ मैले और धुंधले पन्ने
Monday, June 19, 2017
Woman and door
टूटते से कन्धे,
पैरों ने साथ छोड़ा|
आँखें धुँधली हो,
देखने को तैयार नहीं,
कमर कुछ झुकी,
और झुकने को बेताब,
छोड़ जाने को,
सब ही है तैयार,
फिर भी मैं क्यूँ,
नामालुम सा, बोझ उठाये,
अब भी कहीं,
चलती ही जा रही!
-शबनम
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